(मंगेश फल्ले)कोरोना जैसे घातक वायरस से संक्रमित होनेकी पुष्टि के बाद कोई भी घबरा जाएगा। लेकिन पुणे की दो बहनों और उनके परिवार ने वायरस की ही छुट्टी कर दी। दोनों बहनों के परिवार के 7 सदस्य कोरोना से पीड़ित थे, लेकिन अब सबकी रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है और वे अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं। 41 साल की सारिका (परिवर्तित नाम) आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है। 5-6 दिन फैमिली डॉक्टर से इलाज के बाद उन्हें 14 मार्च को भारती हॉस्पिटल में दिखाया गया।
सारिका की बड़ी बहन सीमा (परिवर्तित नाम) इसी हॉस्पिटल में नर्स है। उन्होंने बहन की देखभाल की। तब तक सारिका को कोरोना की पुष्टि नहीं हुई थी। चार दिन बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई। बाद में उनके पति, बेटे के साथ-साथ सीमा, उनके पति और बेटी में भी कोरोना पॉजिटिव निकला।
एक बहन जब वेंटिलेटर पर थी तो दूसरी ने पूरा परिवार संभाला
सारिका वेंटिलेटर पर थी। पूरा परिवार खौफ से भर गया, लेकिन सीमा ने हौसला रखा। वे खुद के साथ-साथ पूरे परिवार की देखभाल में लगी रही। सीमा बताती हैं- जब मुझे पता चला कि हम दोनों बहनों के पति और बच्चों की रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव आई है, तो शुरुआत में हम सब घबरा गए। फिर सोचा कि इससे काम नहीं चलेगा। कोरोना से लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। डॉक्टरों ने भी हौसला बढ़ाया। इससे आत्मविश्वास बढ़ा और अब हमारे दोनों के परिवारों ने कोरोना को पूरी तरह हरा दिया है।
सावधानी: 12 दिन बाद वेंटिलेटर हटा, तब बताई सच्चाई
सारिका की तबियत ज्यादा खराब हो गई थी। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। ऐसे में जब सीमा और उसके परिजनों को कोरोना की पुष्टि हुई, तो उन्हें भी क्वारैंटाइन किया गया। इस दौरान सारिका से मिलने कोई अस्पताल नहीं जा रहा था। कोई न कोई बहाना बनाकर यह बात छिपाकर रखी गई कि उनकी रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव है। इस दौरान परिजन वीडियो कॉल पर बात करते, तो भी यह अंदाजा नहीं होने दिया कि वे भी उसी हॉस्पिटल में क्वारेैंटाइन वार्ड में रखे गए हैं। 12 दिन बाद जब सारिका को वेंटिलेटर से हटाया गया, तब उन्हें पता चला कि उनकी बहन समेत पांच परिजन बीमार हैं और इसी हॉस्पिटल में हैं।
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